फेल, फेल, फेल और फेल... फिर एक साल का ब्रेक और आईएएस : तृप्ति कलहंस
तृप्ति कलहंस: जिन्होंने अपने पांचवें प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में 199वीं रैंक हासिल की। हालांकि, इस मंजिल तक पहुंचने के लिए तृप्ति को चार असफलताओं से भरे एक लंबे दौर से गुजरना पड़ा।
तृप्ति हार नहीं मानने वालीं थी। अगले साल तृप्ति ने फिर से परीक्षा दी और रिजल्ट इस बार भी पहले जैसा ही रहा। उनके लिए ये दूसरा बड़ा झटका था। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरी बार फिर से परीक्षा देने पहुंचीं, लेकिन इस बार भी तृप्ति प्रीलिम्स से आगे नहीं निकल पाईं। तीन नाकामयाबियों के बाद तृप्ति ने अपनी उन गलतियों को पहचाना, जिनकी वजह से वो आगे नहीं बढ़ पा रहीं थी और यूपीएससी के लिए अपना चौथा प्रयास किया। इस बार उन्होंने प्रीलिम्स परीक्षा तो क्वालीफाई कर ली, पर मेंस में अटक गईं।
नाकामयाबी अगर हार का दर्द देती है, तो अगली लड़ाई के लिए एक मजबूत इरादा भी देती है। तृप्ति के साथ भी यही हुआ। चार बार असफल होने के बाद उन्होंने अपनी तैयारी को एक साल का ब्रेक देने का फैसला लिया। ये फैसला आसान नहीं था, लेकिन तृप्ति अपनी राह चुन चुकी थी। इस एक साल में तृप्ति ने अपनी उन सारी कमियों पर गौर किया, जो उन्हें यूपीएससी की मंजिल तक पहुंचने से रोक रहीं थी। यहां तक कि उन्होंने अपना वैकल्पिक विषय भी बदल दिया। और आखिरकार तृप्ति की रणनीति काम कर गई। साल 2023 की यूपीएसी परीक्षा में अपने पांचवें प्रयास में उन्होंने 199वीं रैंक हासिल कर कहानी बदल डाली।
बिना कोचिंग हासिल किया इतना बड़ा मुकाम
तृप्ति कलहंस की कामयाबी की ये कहानी इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने बिना कोचिंग के इतनी बड़ी सफलता हासिल की। अक्सर लोग नाकामयाबी के एक ही वार से टूट जाते हैं, लेकिन तृप्ति ऐसे लोगों के लिए एक मिसाल हैं। वो हारीं जरूर, लेकिन टूटी नहीं। उन्होंने मुश्किलों के सामने टूटने के बजाय अपनी रणनीति में बदलाव किया। तृप्ति की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई गोंडा के फातिमा स्कूल से हुई और इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के कमला नेहरू कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया।
कौन हैं? तृप्ति कलहंस:-उत्तर प्रदेश के गोंडा की रहने वाली हैं. उन्होंने स्कूल के दिनों में ठान लिया था कि यूपीएससी परीक्षा पास करके सरकारी अफसर बनना है. लेकिन उस वक्त शायद उन्हें यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा का उनका सफर कितना कठिन रहेगा. कई यूपीएससी अभ्यर्थी एक या दो बार फेल होने पर बैकअप ऑप्शन पर काम करने लगते हैं. लेकिन तृप्ति कलहंस ने यूपीएससी के आगे, उससे अलग कुछ सोचा ही नहीं.
संघर्ष के दिन लगातार तीन सालों तक बिना किसी गाइडेंस के यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना बहुत बड़ी बात थी. प्रीलिम्स तक नहीं निकाल पाने की वजह से वह सेल्फ डाउट से घिर गई थीं. इस दौरान परिजन और रिश्तेदार उन पर दबाव भी डालने लगे थे. इससे उनकी तैयारी पहले से भी ज्यादा प्रभावित हो रही थी. फिर चौथे अटेंप्ट में असफल होने के बाद साल 2022 में उन्होंने एग्जाम साइकिल से ब्रेक लेने का फैसला लिया. यह उनके लिए बहुत जरूरी था.