भारत ने बनाया पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक – नैफिथ्रोमाइसिन

🇮🇳 भारत ने बनाया पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक – नैफिथ्रोमाइसिन


भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत ने अपना पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक (Nafithromycin) विकसित कर लिया है।

🔬 क्या है नैफिथ्रोमाइसिन?

नैफिथ्रोमाइसिन एक ऐसी नई दवा है जो बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमणों, खासकर फेफड़ों के संक्रमण (निमोनिया) से लड़ने में मदद करती है।
यह दवा उन मरीजों के लिए बनाई गई है जिन पर पुरानी एंटीबायोटिक दवाएं अब असर नहीं कर रहीं — यानी जहां बैक्टीरिया ने दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध (Resistance) विकसित कर लिया है।

💊 किसने बनाई है ये दवा?

इस दवा को भारतीय दवा कंपनी वॉकहार्ट (Wockhardt Ltd) ने बनाया है। इसे सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग और BIRAC (Biotechnology Industry Research Assistance Council) का सहयोग मिला है।

👨‍⚕️ किन बीमारियों में काम करेगी?

यह दवा मुख्य रूप से श्वसन संक्रमण (Respiratory Infections) यानी सांस से जुड़ी बीमारियों में असरदार है।

यह खासतौर पर कैंसर के मरीजों और मधुमेह (Diabetes) से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद मानी जा रही है, जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

🧠 इसकी खास बातें

  • नैफिथ्रोमाइसिन को सिर्फ 3 दिन तक लेना होता है, यानी इसका कोर्स छोटा है।
  • यह दवा कम दुष्प्रभाव (side effects) वाली है।
  • यह पुरानी दवाओं जैसे एज़िथ्रोमाइसिन (Azithromycin) से कई गुना ज्यादा असरदार पाई गई है।
  • यह दवा शरीर में तेजी से काम करती है और फेफड़ों तक बेहतर तरीके से पहुँचती है।

🌍 क्यों है यह भारत के लिए खास?

आज पूरी दुनिया एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (Antibiotic Resistance) की समस्या से जूझ रही है। कई पुरानी दवाएं अब काम नहीं करतीं। ऐसे में भारत का यह नया एंटीबायोटिक देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह सफलता दिखाती है कि भारत अब वैज्ञानिक अनुसंधान में भी दुनिया के विकसित देशों की तरह आगे बढ़ रहा है।

🩺 भविष्य में क्या फायदा होगा?
  • मरीजों को जल्दी और प्रभावी इलाज मिलेगा।
  • इम्पोर्टेड दवाओं पर निर्भरता घटेगी।
  • भारत में नई रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।
  • ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में भी सस्ती और अच्छी दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।

✍️ निष्कर्ष
भारत द्वारा बनाया गया पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन हमारे देश की वैज्ञानिक शक्ति और आत्मनिर्भर भारत के विजन की बड़ी मिसाल है।
यह दवा न केवल संक्रमण से लड़ने में मदद करेगी, बल्कि यह संदेश भी देगी कि भारत अब स्वास्थ्य अनुसंधान में अपनी अलग पहचान बना चुका है।

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