📰 FSSAI का बड़ा फैसला: अब किसी भी फूड प्रोडक्ट पर ‘ORS’ शब्द का इस्तेमाल बैन 🚫


📰 FSSAI का बड़ा फैसला: अब किसी भी फूड प्रोडक्ट पर ‘ORS’ शब्द का इस्तेमाल बैन 🚫

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले उत्पादों पर सख्त कार्रवाई करते हुए बड़ा कदम उठाया है। अब कोई भी कंपनी अपने फूड या ड्रिंक प्रोडक्ट के नाम, लेबल या विज्ञापन में ‘ORS’ (Oral Rehydration Salts) शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी, जब तक वह WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मानकों पर आधारित असली ओआरएस फॉर्मूला न हो।

📌 क्यों लिया गया यह फैसला?

कई कंपनियां मीठे पेय या जूस को "ORS" नाम से बेच रही थीं, जिससे उपभोक्ता भ्रमित हो रहे थे।

ये उत्पाद WHO के मानक पर बने असली ओआरएस नहीं होते, बल्कि शुगर से भरे पेय होते हैं।

इसलिए FSSAI ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया है।

📌 अब क्या होगा बदलाव

अब किसी भी ब्रांड, लेबल या विज्ञापन में ‘ORS’ शब्द पूरी तरह से बैन रहेगा।

यह आदेश खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के तहत लागू किया गया है।

FSSAI के पुराने आदेश (14 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2024) रद्द कर दिए गए हैं।

नियम तोड़ने पर कंपनी पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई होगी।

⚖️ कानूनी प्रावधान

यह आदेश अधिनियम की धारा 23 और 24 के तहत लागू है।

गलत लेबलिंग और भ्रामक विज्ञापन पर धारा 52 और 53 के अंतर्गत जुर्माना और सजा होगी।

ऐसे उत्पादों को “Misbranded” और “Misleading” माना जाएगा।

🧪 असली ORS की WHO फॉर्मूला संरचना (प्रति लीटर):

सोडियम क्लोराइड – 2.6 ग्राम

पोटेशियम क्लोराइड – 1.5 ग्राम

सोडियम साइट्रेट – 2.9 ग्राम

डेक्सट्रोज (ग्लूकोज़) – 13.5 ग्राम

कुल ऑस्मोलैरिटी – 245 mOsm/L

जबकि नकली ORS पेयों में:

चीनी लगभग 120 ग्राम प्रति लीटर

सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइड की मात्रा बहुत कम
➡ ऐसी असंतुलित संरचना सेहत के लिए हानिकारक है, खासकर बच्चों और डायबिटीज़ रोगियों के लिए।

💧 ORS क्या है?

ओआरएस नमक और ग्लूकोज़ का वैज्ञानिक संतुलन होता है, जो दस्त, उल्टी या डिहाइड्रेशन के दौरान शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी पूरी करने में मदद करता है।
यह सामान्य ड्रिंक नहीं, बल्कि मेडिकल उपयोग का घोल है।

🔍 FSSAI का कदम क्यों अहम है
✅झूठे और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगेगी।
✅ उपभोक्ताओं को सही जानकारी और असली उत्पाद मिलेंगे।
✅खाद्य उद्योग में पारदर्शिता बढ़ेगी।
✅यह आदेश उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम है।

🏁 निष्कर्ष
FSSAI का यह फैसला स्वास्थ्य पेयों के नाम पर चल रही भ्रामक मार्केटिंग पर रोक लगाएगा।
यह कदम भारत में फूड सेफ्टी सिस्टम और उपभोक्ता सुरक्षा को और मजबूत बनाएगा।

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