आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) – भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत

🚢 आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) – भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत


INS विक्रांत भारतीय नौसेना का गौरव है। यह भारत में ही बनाया गया पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (Indigenous Aircraft Carrier – IAC) है, जिसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने तैयार किया। इसका नाम “विक्रांत” संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है – “साहसी” या “शक्तिशाली”।

🔹 निर्माण और शुभारंभ
  • निर्माण स्थल: कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड, कोच्चि
  • निर्माण की शुरुआत: वर्ष 2009
  • जलावतरण (Launch): 12 अगस्त 2013
  • भारतीय नौसेना को सौंपा गया: 28 जुलाई 2022
  • औपचारिक रूप से शामिल (Commissioned): 2 सितंबर 202
  • शामिल किया गया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
इस पोत का डिज़ाइन और निर्माण पूरी तरह भारत में किया गया है, जो देश की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

⚙️ प्रमुख विशेषताएँ
  • लंबाई: लगभग 262 मीटर
  • चौड़ाई: 62 मीटर
  • वजन: लगभग 43,000 टन
  • गति (Speed): 28 नॉट्स (लगभग 52 किमी/घंटा)
  • रेंज: 7,500 नॉटिकल माइल
  • क्रू क्षमता: लगभग 1,700 नौसैनिक
  • विमान क्षमता: 30 से अधिक लड़ाकू विमान एवं हेलिकॉप्टर
✈️ विमान और हथियार प्रणाली

INS विक्रांत से MiG-29K लड़ाकू विमान, Kamov-31 और MH-60R Seahawk हेलिकॉप्टर संचालित किए जा सकते हैं। भविष्य में स्वदेशी टेडब (TEDBF) यानी Twin Engine Deck Based Fighter भी इसमें शामिल किया जाएगा।
इसमें उन्नत रडार सिस्टम, मिसाइल रोधी सुरक्षा और अत्याधुनिक नेविगेशन तकनीक लगाई गई है।

🇮🇳 रणनीतिक महत्व

INS विक्रांत के आने से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ गई है। अब भारत के पास दो ऑपरेशनल विमानवाहक पोत हैं — INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत। इससे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक स्थिति और मज़बूत हुई है।

📰 ताज़ा अपडेट (अक्टूबर 2025)

हाल ही में भारतीय नौसेना ने INS विक्रांत पर पहले स्वदेशी नौसैनिक लड़ाकू विमान TEDBF के ट्रायल की तैयारी शुरू कर दी है।
इसके साथ ही, नौसेना ने घोषणा की है कि विक्रांत को अगले वर्ष तक पूर्ण संचालन क्षमता (Full Operational Capability) हासिल हो जाएगी। यह भारत की नौसेना को और अधिक आत्मनिर्भर बनाएगा।

💬 निष्कर्ष

INS विक्रांत न केवल भारत की समुद्री शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार करने वाला कदम भी है। यह भारत की तकनीकी दक्षता, इंजीनियरिंग क्षमता और राष्ट्रीय गर्व का शानदार उदाहरण है।

Post a Comment

0 Comments