🌱 परिचय: जहाँ सपने पैदा होते हैं
राजस्थान का दौसा जिला। एक छोटा-सा गाँव बापी। यहाँ पैदा हुए राम भजन कुमार ने बचपन में कभी सपने नहीं देखे थे, क्योंकि सपने देखने का वक्त ही नहीं था।
पिता मजदूरी करते थे, माँ घरेलू काम। कभी ₹5 मिल जाते, कभी ₹10। दो वक्त की रोटी भी किसी चमत्कार से ज्यादा लगती थी।
लेकिन राम भजन के अंदर एक चिंगारी थी — "कुछ बदलना है।"
पिता मजदूरी करते थे, माँ घरेलू काम। कभी ₹5 मिल जाते, कभी ₹10। दो वक्त की रोटी भी किसी चमत्कार से ज्यादा लगती थी।
लेकिन राम भजन के अंदर एक चिंगारी थी — "कुछ बदलना है।"
📚 पहली किताब, पहला प्यार
जब वो 6 साल के थे, तो गाँव के एक टूटे-फूटे सरकारी स्कूल में दाखिला हुआ। वहाँ टीचर की कुर्सी पर बैठकर वो किताबें देखा करते थे।
उन्हें याद है —
उन्हें याद है —
“पहली बार जब मैंने अक्षर जाने, तो लगा जैसे मैंने दुनिया जीत ली हो।”
10वीं में जिले में टॉप किया। गाँव वाले हैरान। माँ-बाप ने पहली बार सोचा —
“इस लड़के में कुछ है।”
💸 ₹10 की मजदूरी और पढ़ाई का जुनून
11वीं में आते-आते पिता की तबीयत खराब हो गई। घर की जिम्मेदारी राम भजन के कंधों पर आ गई।
सुबह 4 बजे उठते, खेतों में काम करते, फिर स्कूल जाते। शाम को पत्थर तोड़ते — ₹10 रोज।
लेकिन किताबें कभी छोड़ी नहीं।
रात को चिराग के नीचे पढ़ते, क्योंकि बिजली नहीं थी।
सुबह 4 बजे उठते, खेतों में काम करते, फिर स्कूल जाते। शाम को पत्थर तोड़ते — ₹10 रोज।
लेकिन किताबें कभी छोड़ी नहीं।
रात को चिराग के नीचे पढ़ते, क्योंकि बिजली नहीं थी।
“**मैं नहीं जानता था कि IAS क्या होता है, लेकिन मुझे पता था कि पढ़ाई ही एक रास्ता है।”
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Beerappa Siddappa Doni UPSC Success Story in Hindi | AIR 551 UPSC 2024 ↗↗
🚔 दिल्ली पुलिस: पहला कदम
2010 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बन गए।
₹22,000 की नौकरी, पहली बार घर में खुशी।
लेकिन जब वो IPS officers को परेड करते देखते, तो दिल में एक आवाज़ आती —
₹22,000 की नौकरी, पहली बार घर में खुशी।
लेकिन जब वो IPS officers को परेड करते देखते, तो दिल में एक आवाज़ आती —
“मैं भी वहाँ खड़ा होना चाहता हूँ।”
📖 रात की पढ़ाई, दिन की ड्यूटी
2015 से UPSC की तैयारी शुरू की।
- ड्यूटी के बाद 7-8 घंटे पढ़ाई
- मुकर्जी नगर के नोट्स खरीदे
- YouTube से पढ़ा — कोचिंग का पैसा नहीं था
- पत्नी ने भी सपोर्ट किया — वो भी टीचर थी
फेल, फेल, फेल और फेल... फिर एक साल का ब्रेक और आईएएस : तृप्ति कलहंस↗↗
📉 7 बार गिरे, 7 बार उठे
2016 – Prelims clear, Mains fail
2017 – Interview में out
2018 – CSAT में फँस गए
2019 – Optional कमजोर रहा
2020 – COVID में पिता का निधन
2021 – फिर से fail
2017 – Interview में out
2018 – CSAT में फँस गए
2019 – Optional कमजोर रहा
2020 – COVID में पिता का निधन
2021 – फिर से fail
“हर बार लगता था — अब नहीं होगा। लेकिन माँ कहती थी — एक बार और।”
🔥 8वाँ प्रयास: आख़िरी वार
2022 में सब कुछ दाँव पर लगा दिया।
- रोज 10 घंटे पढ़ाई
- Previous year papers – 5 बार solve किए
- Mock interview – 20+ दिए
- Current affairs – रोज 2 घंटे
रिज़ल्ट आया – AIR 667
IAS Ram Bhajan Kumar.
IAS Ram Bhajan Kumar.
👨👩👧👦 परिवार का रोना-हँसना
जब रिज़ल्ट आया, तो माँ रो पड़ीं।
“मेरा बेटा अब साहब बन गया।”
गाँव में पहली बार IAS बना कोई।
सरकारी स्कूल में उनकी तस्वीर लगी।
“अब वहाँ के बच्चे कहते हैं – हम भी राम भजन बनेंगे।”
💬 राम भजन का संदेश आपके लिए
“**मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं IAS बनूँगा। मैंने बस इतना सोचा – अगर मैं रुक गया, तो सपना मर जाएगा।
Fail होना गलत नहीं है – रुक जाना गलत है।
आपकी परिस्थिति आपकी क्षमता नहीं तय करती – आपकी इच्छा करती है।”
| चरण | सिखा |
|---|---|
| गरीबी | सपने देखने से नहीं रोकती |
| नौकरी | सपने छोड़ने का बहाना नहीं |
| 7 बार fail | हार नहीं, सीख है |
| कोचिंग नहीं | इंटरनेट है, बस जुनून चाहिए |
| IAS बनना | सिर्फ़ अमीरों का खेल नहीं |
🔗 आप भी शुरू कर सकते हो
- रोज 2 घंटे – NCERT पढ़ो
- The Hindu – रोज़ 1 editorial
- Previous year – हर महीने 1 subject
- Mock test – हर रविवार
- राम भजन की तरह – एक बार और।
🙏 निष्कर्ष: सपना छोटा नहीं होता
राम भजन कुमार की कहानी सिर्फ़ एक IAS success story नहीं है।
यह एक जंग है — गरीबी के खिलाफ, हार के खिलाफ, खुद के डर के खिलाफ।
यह एक जंग है — गरीबी के खिलाफ, हार के खिलाफ, खुद के डर के खिलाफ।
“अगर एक ₹10 कमाने वाला लड़का IAS बन सकता है, तो आप क्यों नहीं?”
